चाँदनी रात हो और मधुकामनी का साथ हो, तो क्या कहने…
मधुकामिनी में आपको मदहोश करने वाली खुशबू, बेहिसाब सुंदरता और उत्तम स्वास्थ्य का सदाबहार कॉम्बो पैक मिलेगा।
क्या आप चाहेंगे कि आप किसी पेड़ की छाँव में बैठे हों और वहाँ मदहोश कर देने वाली खुशबू बिखरी पड़ी हो। इसके साथ ही कोई रह रह कर आप पर पुष्प वर्षा करते रहे…। अगर आप इस स्वप्न को साकार करना चाहते हैं तो फिर अपने घर पर मधुकामिनी का पेड़ लगाइये और खो जाइये सुनहरे सपनों में, और बाकी चीजें इस पर छोड़ दें। क्योंकि जो कुछ मैंने लिखा है वो सब इसी पेड़ के नीचे बैठकर हासिल किया जा सकता है।
इस हमारे बगीचे में सुंदर, बेहतरीन खुशबू वाले फूलों की बहार छायी हुयी है। हजारों मनमोहक फूलों के गुच्छों से लदा हुआ यह पेड़ है, मधुकामनी का। यह सुंदरता के लिए लगाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पेड़ तो है ही लेकिन इसके साथ साथ यह एक बहुमूल्य औषधि भी है। इसका पेड़ सदाबहार श्रेणी में आता है अतः इसकी समस्त पत्तियाँ कभी एकसाथ झड़ती नही है जिससे यह सालभर हराभरा बना रहता है। पारंपरिक औषधि के जानकार इसे रगत विडार के नाम से जानते हैं, जिसका अर्थ होता है रक्त के विकारों को हरण करने वाला अर्थात इसका प्रयोग रक्त शोधक औषधि के रूप में किया जाता है।
मधुकामिनी का पेड़ छोटे झाड़ीदार स्वरुप में प्राकृतिक रूप से उगता हुआ पाया जाता है, इसके पुष्पो से रात्रि के समय मदहोश कर देने वाली खुशबु आती है, इसी कारण आजकल इसे लोग बगीचो या घरो के आसपास लगाना पसंद करते है। यह मीठी नीम का भाई है। मीठी नीम की तरह दिखने वाले इस पौधे की पत्तियाँ तीव्र, हलकी कड़वाहट लिए हुए होती है। जानकार लोगो के अनुसार इसकी कोमल पत्तियो का रस रक्त को शुद्ध कर देता है। इसकी परिपक्व पत्तियो को चबाने से मुह के छालो में भी आराम मिलता है। इसकी कोमल टहनियों की दातुन करने पर मुख की दुर्गंध दूर होती है और दांतों की सड़न से भी मुक्ति मिलती है।
बुजुर्ग जानकर कहते है कि इसके पुष्पो से मधु यानी शहद के सामान खुशबु आने के कारण ही इसका नाम मधुकामिनी पड़ा। पचमढ़ी में नागद्वार यात्रा के दौरान इस रगत विडार के कई पौधे प्राकृतिक रूप से लगे हुए देखे, वरना पूर्व में तो में इन्हें सजावटी ही मानता था। वहां तो ज्यादातर पेड़ कइयो वर्षो से लगे हुए हैं।
इसके विषय मे वैज्ञानिक जानकारियों के लिए शोधपत्रों को खंगाल रहा था, तब पता चला कि इसके बहुत से सेकेंड्री मेटाबॉलाइट यानि द्वितीयक उत्पाद पाये जाते हैं जो औषधीय महत्व के होते हैं, फिलहाल वही लिखा जो जंगल यात्राओं के बीच भटकते हुए सुना, देखा और सीखा।
आपको यह जानकारी कैसी लगी बताइयेगा।