मानव जीवन का कोई भी ऐसा पक्ष नहीं है जिसमें रसायन विज्ञान का अंश न हो। प्रातः काल से रात्रिपर्यंत हम रसायनज्ञों द्वारा निर्मित वस्तुओं का उपभोग करते हैं। रसायन विज्ञान ने मानव सभ्यता के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है। अतः हम इससे उऋण नहीं हो सकते। वस्तुतः रसायनों का हमारे दैनिक जीवन से घनिष्ठ संबंध है। बीसवीं शताब्दी के युग में बिना रसायन विज्ञान के भौतिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर, यह ज्ञानवर्धक पुस्तक जिस कागज पर मुद्रित हुई है, मुद्रण में प्रयुक्त स्याही तथा अन्य अभिक्रियाएँ भी रसायनजन्य हैं।
रसायनविदों ने अपने कठिन अन्वेषणों से ज्ञात किया है कि पदार्थ में कुछ
मूल अवयव होते हैं, जिनमें साधारण रीति से कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
इन्हें तत्त्व की संज्ञा दी गई है; यथा- प्रत्येक मनुष्य को जीवित रहने के लिए
ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है; सिलिकॉन एवं ऑक्सीजन के संयुक्त रूप
बालू से सभी परिचित हैं; बरतनों में सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा एवं एलूमीनियम
आदि रसायन-निर्मित हैं। इसी प्रकार सोडियम नमक का, कैल्शियम चूने का,
पोटैशियम व मैग्नीशियम लाल दवा का, फॉस्फोरस हड्डी एवं पौध उर्वरक का,
मैग्नीशियम आतिशबाजी का, गंधक चर्म रोग निवारण का तथा कार्बन अपनी
अनेकानेक उपयोगिताओं का स्रोत है।
रसायनविद् रसायन विज्ञान को पदार्थों के अंदर होनेवाला आणविक रूपांतरण मानते हैं। उनके अनुसार एक इंच की महीन रेखा में लगभग 5 करोड़ अणु होते हैं नथा जब श्वास ली जाती है तो 3×102 अणु फेफड़े के अंदर जाते हैं। इसी प्रकार जब एक गिलास पानी पीया जाता है तो लगभग 1865×10² अणु शरीर के अंदर प्रविष्ट होते हैं। वस्तुतः प्रकृति ने सभी प्राणियों के जीवनयापन के लिए भंडार सुलभ कराए हैं; परंतु रसायन विज्ञान में ऐसी क्षमता है कि उसने प्राकृतिक वस्तुओं के सदृश एवं समोपयोगी अनगिनत संश्लेषित वस्तुएँ भी मानव को प्रदान कर रखी